उज्जैन में शिप्रा नदी उफान पर: घाट डूबे, मंदिरों में पानी, प्रशासन अलर्ट पर
उज्जैन, मध्य प्रदेश:
पवित्र नगरी उज्जैन में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। पिछले दो दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश के कारण शिप्रा नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है। अचानक आई बाढ़ जैसी स्थिति से कई प्रमुख घाट डूब गए हैं, नदी किनारे स्थित मंदिरों में पानी भर गया है और लोगों की सुरक्षा तथा धार्मिक धरोहरों को नुकसान को लेकर चिंता बढ़ गई है।
मंदिर और घाट पानी में डूबे
सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र राम घाट और दत्त अखाड़ा घाट हैं, जो शिप्रा नदी के दो प्रमुख तीर्थ स्थल माने जाते हैं। भास्कर इंग्लिश और आर्यव्रत न्यूज़ की रिपोर्ट और प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, नदी का पानी इतना बढ़ गया है कि कई मंदिरों के आंगन पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं और कई जगहों पर तो केवल मंदिरों के शिखर ही पानी के ऊपर दिखाई दे रहे हैं। मंदिरों में स्थापित प्राचीन मूर्तियों और गर्भगृह को नुकसान का डर पुजारियों और श्रद्धालुओं में साफ देखा जा सकता है।
उज्जैन–बड़नगर रोड का “छोटा पुल” भी नदी के तेज बहाव से लगभग डूब चुका है। स्थानीय रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पानी सामान्य स्तर से लगभग दो से तीन फीट ऊपर है। इस कारण वाहन चालकों के लिए खतरा बढ़ गया है और प्रशासन ने वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने की सलाह दी है।
धार्मिक महत्व से बढ़ी चुनौती
स्थिति इसलिए और गंभीर हो गई है क्योंकि यह जलस्तर वृद्धि ऋषि पंचमी पर्व के समय हुई है। इस दिन हजारों श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान करने आते हैं। जिला प्रशासन, पुलिस और सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। घाटों पर लाउडस्पीकर से लगातार घोषणाएं की जा रही हैं और बैरिकेड लगाकर श्रद्धालुओं को गहरे पानी में उतरने से रोका जा रहा है। सुरक्षाकर्मी लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि वे नदी किनारे बैठकर ही स्नान और पूजा करें, ताकि तेज बहाव में बहने का खतरा न रहे।
राम घाट के पुजारियों ने इस पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। एक ओर उनका मानना है कि नदी में अधिक जलस्तर शुभ संकेत है, यह समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक है; लेकिन दूसरी ओर, मंदिरों को नुकसान और इस समय होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों में व्यवधान की आशंका भी है।
प्रशासन की कार्रवाई
संभावित जनहानि और संपत्ति नुकसान से बचाने के लिए एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल), नगर निगम की टीमें और होमगार्ड के जवान बड़ी संख्या में तैनात किए गए हैं। संवेदनशील घाटों पर नावें तैयार रखी गई हैं ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत बचाव कार्य शुरू किया जा सके। प्रशासन ने घाटों पर फ्लडलाइट और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भी स्थापित कर दिए हैं।
उज्जैन नगर निगम ने शहर के निचले इलाकों में जाम नालों की सफाई शुरू कर दी है ताकि जलभराव से राहत मिल सके। महाकाल मंदिर और हरसिद्धि मंदिर के आसपास की सड़कों पर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई है क्योंकि पानी भरने से गाड़ियां धीरे चल रही हैं।
टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया के जरिए लगातार चेतावनियां दी जा रही हैं। लोगों से अपील की जा रही है कि वे घाटों और नदी किनारे अनावश्यक न जाएं और हालात सामान्य होने तक घरों में ही सुरक्षित रहें।

स्थानीय निवासियों पर असर
घाटों के पास की दुकानों में पानी घुसने से व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। कई दुकानदारों ने अपने सामान ऊंचे शेल्फ पर रख दिए हैं या सुरक्षित जगहों पर स्थानांतरित कर दिए हैं। छोटे ठेले और प्रसाद बेचने वाले विक्रेताओं की आमदनी पर खासा असर पड़ा है क्योंकि श्रद्धालुओं की आवाजाही लगभग रुक गई है।
अंकपट मार्ग और भारतपुरी जैसे नदी किनारे के इलाकों के निवासियों को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। स्कूलों और सामुदायिक भवनों को अस्थायी राहत शिविरों में बदल दिया गया है। जिला प्रशासन ने प्रभावित लोगों को भोजन और पीने का पानी उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है।
पर्यावरणीय चिंताएं
पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि शिप्रा नदी के किनारे अवैध निर्माण और अतिक्रमण ने इस स्थिति को और बिगाड़ दिया है। प्राकृतिक जलनिकासी में कमी और बाढ़ क्षेत्र पर निर्माण के कारण थोड़ी सी भी बारिश से नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ जाता है। यदि मालवा क्षेत्र में बारिश जारी रही तो उज्जैन के साथ-साथ निचले गांवों में भी बाढ़ का खतरा और बढ़ सकता है।
एक और चिंता नदी में प्रदूषण को लेकर है। घाटों के डूबने से गंदगी, कचरा और औद्योगिक अपशिष्ट नदी के पानी में मिल जाते हैं जिससे पानीजनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से उबला हुआ पानी पीने और साफ-सफाई का ध्यान रखने की अपील की है।
सांस्कृतिक और आर्थिक असर
शिप्रा नदी का हिंदू धर्म में गहरा धार्मिक महत्व है। यह उन नदियों में से एक है जहां कुंभ मेला आयोजित होता है। उज्जैन की पहचान भी इसके घाटों से जुड़ी है। राम घाट और दत्त अखाड़ा घाट के डूबने से न केवल धार्मिक अनुष्ठान बाधित हुए हैं बल्कि पर्यटन उद्योग पर भी असर पड़ा है, जो उज्जैन की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है।
शहर आने वाले हफ्तों में कई धार्मिक आयोजनों की तैयारी कर रहा था, लेकिन अब सड़कें आंशिक रूप से बंद होने और घाटों पर खतरा होने से आयोजकों के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। होटलों और धर्मशालाओं में बुकिंग रद्द होने लगी हैं क्योंकि लोग अपनी यात्रा टाल रहे हैं।
आगे की राह
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले 24-48 घंटों में भी मध्यम से तेज बारिश का अनुमान जताया है, यानी खतरा अभी टला नहीं है। कलेक्टर ने कहा है कि जलस्तर पर हर घंटे निगरानी रखी जा रही है और जरूरत पड़ने पर ऊपर की तरफ बने बांधों से नियंत्रित जल छोड़ने की व्यवस्था की जाएगी ताकि बाढ़ की स्थिति न बने।

Reported by – Jatin Sisodiya.
nice reporting