
आई लव मोहम्मद” विवाद क्या है और यह कैसे शुरू हुआ
- यह विवाद तब शुरू हुआ जब कानपुर में मिलाद-उन-नबी (बारावफात) के जुलूस के दौरान “I Love Muhammad” लिखे हुए बोर्ड और बैनर लगाए गए। कुछ हिंदू संगठनों ने इसे परंपरा से अलग और उकसाने वाला बताया।
- इसके बाद यह नारा और कैंपेन अन्य जिलों, जैसे बरेली, तक फैल गया।
- बरेली में जुमे की नमाज के बाद बड़ी संख्या में लोग “I Love Muhammad” के बैनर और नारे लेकर सड़क पर उतरे। पुलिस और भीड़ के बीच झड़प हो गई। पत्थरबाजी की खबरें आईं, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए और शहर में तनाव फैल गया।
- प्रशासन ने कई एफआईआर दर्ज कीं, बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में लिया और स्थिति को गंभीर कानून-व्यवस्था का मामला मानते हुए कड़ी कार्रवाई शुरू की।
- इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रज़ा खान पर आरोप है कि उन्होंने इस विरोध का आह्वान किया। उन्हें गिरफ्तार कर कई एफआईआर में नामजद किया गया है।

यानि, “I Love Muhammad” नारा केवल व्यक्तिगत अभिव्यक्ति नहीं रहा बल्कि सार्वजनिक प्रदर्शन का रूप ले लिया, जिससे आपत्ति और कानून-व्यवस्था की कार्रवाई दोनों शुरू हुई।
योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा और सरकार का रुख
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन विरोध प्रदर्शनों की कड़ी आलोचना की और साफ कहा कि कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी।

- योगी ने कहा: “अगर आस्था के नाम पर तोड़फोड़ करोगे, पुलिस पर हमला करोगे… तो हम छोड़ेंगे नहीं। छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं और छोड़ेंगे नहीं तो छूटोगे भी नहीं।”
- उन्होंने कहा कि “देंटिंग-पेंटिंग करनी होगी” यानी आदतन कानून तोड़ने वालों को सुधारना और सख्ती से निपटना जरूरी है।
- योगी ने इशारा किया कि कुछ मौलाना भूल गए हैं कि प्रदेश में कौन सत्ता में है – “एक मौलाना भूल गया कि सत्ता में कौन है… उसने सोचा कि सिस्टम को रोक सकता है…”
- योगी ने इन जुलूसों को “उकसाने वाले जुलूस” बताया और कहा कि यह सामाजिक शांति बिगाड़ने की “साजिश” का हिस्सा है।
- उन्होंने प्रशासन को आदेश दिया कि सभी आरोपियों की पहचान कर सख्त कार्रवाई करें, एफआईआर दर्ज करें और कानून-व्यवस्था हर हाल में बनाए रखें।

मुख्य तथ्य, तनाव और संभावित असर
- यह विवाद और उस पर हुई कार्रवाई धार्मिक अभिव्यक्ति, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सार्वजनिक विरोध की सीमा पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
- सरकार इस घटना को बेहद गंभीर मानकर बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी, पुलिस बल की तैनाती और मुकदमे दर्ज कर रही है।
- प्रशासन इसे सामाजिक सौहार्द और शांति बनाए रखने के लिए जरूरी बता रहा है।
- दूसरी ओर, कुछ धार्मिक नेता कह रहे हैं कि पैगंबर मोहम्मद से प्रेम जताना अपराध नहीं है, यह सिर्फ धार्मिक भक्ति की अभिव्यक्ति है।

- आलोचना भी हो रही है कि सरकार धार्मिक भावनाओं के प्रदर्शन और शांतिपूर्ण विरोध को दबा रही है।
- भारत में धार्मिक मुद्दों की संवेदनशीलता को देखते हुए यह विवाद राजनीतिक रूप से और ज्यादा गरमा सकता है, जिससे साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण या संवैधानिक अधिकारों पर बहस हो सकती है।
- यह घटना उन पुराने विवादों की याद भी दिला रही है, जब पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर विरोध और हिंसक घटनाएं हुई थीं।
Reported By – Jatin Sisodiya