
बॉलीवुड की पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने हाल ही में एक विवादित बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि दाऊद इब्राहिम आतंकी नहीं हैं और उन्होंने 1993 के मुंबई ब्लास्ट की साजिश में हिस्सा नहीं लिया था। यह बयान आते ही सोशल मीडिया और जनता के बीच भारी विरोध शुरू हो गया।
1993 मुंबई ब्लास्ट, जिसे भारत की सबसे भयंकर आतंकवादी घटनाओं में से एक माना जाता है, में सैकड़ों लोग मारे गए थे और हजारों घायल हुए थे। उस समय से दाऊद इब्राहिम को इस हमले का मुख्य आरोपी माना जाता रहा है। ममता कुलकर्णी के इस बयान ने कई लोगों को चौंका दिया और उनके खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया आई।
विरोध के दबाव में, ममता कुलकर्णी ने अपने बयान पर पलटवार किया और कहा कि उनका मकसद किसी को आहत करना नहीं था। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी बातों को गलत समझा गया है और उन्होंने दाऊद इब्राहिम के खिलाफ कोई समर्थन नहीं दिया है।
इस विवाद ने एक बार फिर से 1993 मुंबई ब्लास्ट के मुद्दे को चर्चा में ला दिया है और यह सवाल उठता है कि ऐसे संवेदनशील विषयों पर सार्वजनिक हस्तियों को कितनी जिम्मेदारी से बोलना चाहिए। ममता कुलकर्णी के बयान और उसके बाद की सफाई ने यह साबित कर दिया है कि भारत में आतंकवाद के प्रति जनता की संवेदनशीलता कितनी अधिक है।
