
यह फैसला न्यायमूर्ति अजय दिगपॉल (Justice Ajay Digpaul) की एकल पीठ ने दिया, जिन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के पास वाणिज्यिक मात्रा (commercial quantity) में प्रतिबंधित पदार्थ (इस मामले में हेरोइन) बरामद होता है, तो मात्र यह कहना कि उसे यह नहीं पता था कि वह क्या ले जा रहा है या उसमें क्या सामग्री है, कोई बचाव नहीं बनता।मामला क्या थायह केस एकोह कॉलिन्स चिडुबेम बनाम नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के रूप में सामने आया।

जांच के दौरान पता चला कि एक अन्य आरोपी प्रदीप कुमार झा को हेरोइन की खेप प्राप्त होनी थी, जिसे बाद में आरोपी एकोह कॉलिन्स चिडुबेम को सौंपा जाना था।जांच में प्रदीप झा के खुलासे में यह स्पष्ट हुआ कि यह हेरोइन की खेप चिडुबेम तक पहुंचाई जानी थी, जिससे अदालत ने यह माना कि दोनों के बीच एक संगठित तस्करी का मॉडस ऑपरेंडी (modus operandi) मौजूद था।अदालत का अवलोकनअदालत ने कहा —“मामले के समग्र तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह सिद्ध होता है कि वाणिज्यिक मात्रा में हेरोइन बरामद हुई।

आरोपी प्रदीप कुमार झा की भूमिका स्पष्ट है, क्योंकि उसने खुलासा किया कि यह माल आरोपी एकोह कॉलिन्स चिडुबेम को सौंपा जाना था। इन सभी तथ्यों को मिलाकर देखने से यह स्पष्ट होता है कि यह एक योजनाबद्ध तस्करी का हिस्सा था। मादक पदार्थ की प्रकृति या सामग्री की जानकारी न होना, किसी भी आरोपी को राहत नहीं दे सकता।”कानूनी महत्वइस फैसले से अदालत ने यह दोहराया कि —

• NDPS Act के तहत अपराध “सख्त दायित्व” (strict liability) वाला होता है।• यानी अगर किसी व्यक्ति के कब्जे में मादक पदार्थ पाया जाता है, तो यह उसकी कानूनी जिम्मेदारी है कि वह साबित करे कि उसका उससे कोई संबंध नहीं था।• “मुझे नहीं पता था कि यह ड्रग है” जैसी दलील को अदालत स्वीकार्य बचाव नहीं मानती।निष्कर्षदिल्ली हाई कोर्ट का यह फैसला NDPS मामलों में अभियुक्तों के लिए एक कड़ा संदेश है कि कानून के तहत अनभिज्ञता या अज्ञानता (ignorance) कोई बहाना नहीं है।यदि किसी के पास मादक पदार्थ पाया जाता है, तो यह स्वतः अपराध की श्रेणी में आता है, और आरोपी को यह साबित करना होगा कि उसका इससे कोई लेना-देना नहीं था।🔹 केस शीर्षक: Ekoh Collins Chidubem v. Narcotics Control Bureau🔹 संदर्भ: 2025 DHC 8740🔹 न्यायाधीश: जस्टिस अजय दिगपॉल🔹 अपराध: वाणिज्यिक मात्रा में हेरोइन की बरामदगीयह निर्णय NDPS कानून के सख्त प्रावधानों की एक और मिसाल पेश करता है, जो मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध व्यापार पर नियंत्रण के लिए बनाए गए हैं।दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया है कि मादक पदार्थों की प्रकृति या सामग्री के बारे में अनजान होना (ignorance), एनडीपीएस एक्ट 1985 (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act)

के तहत अपराध से बचने का वैध आधार नहीं माना जा सकता।यह फैसला न्यायमूर्ति अजय दिगपॉल (Justice Ajay Digpaul) की एकल पीठ ने दिया, जिन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के पास वाणिज्यिक मात्रा (commercial quantity) में प्रतिबंधित पदार्थ (इस मामले में हेरोइन) बरामद होता है, तो मात्र यह कहना कि उसे यह नहीं पता था कि वह क्या ले जा रहा है या उसमें क्या सामग्री है, कोई बचाव नहीं बनता।मामला क्या थायह केस एकोह कॉलिन्स चिडुबेम बनाम नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के रूप में सामने आया। जांच के दौरान पता चला कि एक अन्य आरोपी प्रदीप कुमार झा को हेरोइन की खेप प्राप्त होनी थी, जिसे बाद में आरोपी एकोह कॉलिन्स चिडुबेम को सौंपा जाना था।जांच में प्रदीप झा के खुलासे में यह स्पष्ट हुआ कि यह हेरोइन की खेप चिडुबेम तक पहुंचाई जानी थी, जिससे अदालत ने यह माना कि दोनों के बीच एक संगठित तस्करी का मॉडस ऑपरेंडी (modus operandi) मौजूद था।अदालत का अवलोकनअदालत ने कहा —“मामले के समग्र तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह सिद्ध होता है कि वाणिज्यिक मात्रा में हेरोइन बरामद हुई। आरोपी प्रदीप कुमार झा की भूमिका स्पष्ट है, क्योंकि उसने खुलासा किया कि यह माल आरोपी एकोह कॉलिन्स चिडुबेम को सौंपा जाना था। इन सभी तथ्यों को मिलाकर देखने से यह स्पष्ट होता है कि यह एक योजनाबद्ध तस्करी का हिस्सा था। मादक पदार्थ की प्रकृति या सामग्री की जानकारी न होना, किसी भी आरोपी को राहत नहीं दे सकता।”कानूनी महत्वइस फैसले से अदालत ने यह दोहराया कि —• NDPS Act के तहत अपराध “सख्त दायित्व” (strict liability) वाला होता है।• यानी अगर किसी व्यक्ति के कब्जे में मादक पदार्थ पाया जाता है, तो यह उसकी कानूनी जिम्मेदारी है कि वह साबित करे कि उसका उससे कोई संबंध नहीं था।• “मुझे नहीं पता था कि यह ड्रग है” जैसी दलील को अदालत स्वीकार्य बचाव नहीं मानती।निष्कर्षदिल्ली हाई कोर्ट का यह फैसला NDPS मामलों में अभियुक्तों के लिए एक कड़ा संदेश है कि कानून के तहत अनभिज्ञता या अज्ञानता (ignorance) कोई बहाना नहीं है।

यदि किसी के पास मादक पदार्थ पाया जाता है, तो यह स्वतः अपराध की श्रेणी में आता है, और आरोपी को यह साबित करना होगा कि उसका इससे कोई लेना-देना नहीं था।🔹 केस शीर्षक: Ekoh Collins Chidubem v. Narcotics Control Bureau🔹 संदर्भ: 2025 DHC 8740🔹 न्यायाधीश: जस्टिस अजय दिगपॉल🔹 अपराध: वाणिज्यिक मात्रा में हेरोइन की बरामदगीयह निर्णय NDPS कानून के सख्त प्रावधानों की एक और मिसाल पेश करता है, जो मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध व्यापार पर नियंत्रण के लिए बनाए गए हैं।
Reported By – Jatin Sisodiya