देशव्यापी सरकारी कामकाज ठप** होने के कारण पूर्व राष्ट्रपति फिर सुर्खियों में हैं। आधी रात की समय सीमा बीत जाने और विधायिका से कोई समझौता न होने के कारण, देश में करीब सात साल बाद पहली बार सरकारी कामकाज पूरी तरह से रुक गया है।

मुख्य घटनाक्रम* **शटडाउन पर प्रतिक्रिया:** पूर्व राष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह गतिरोध उन “कई चीजों से छुटकारा पाने का एक अवसर है जिन्हें हम नहीं चाहते थे।” ख़बर है कि उन्होंने सरकारी एजेंसियों को **बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छँटनी** की तैयारी करने का निर्देश दिया है, जिसके खिलाफ श्रम यूनियनों ने कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।*

विदेश नीति और गाजा:** पूर्व राष्ट्रपति ने एक प्रमुख क्षेत्रीय सहयोगी के साथ मिलकर, **हमास** को **गाजा** के लिए प्रस्तावित शांति और पुनर्निर्माण योजना पर प्रतिक्रिया देने के लिए “तीन या चार दिन” का सार्वजनिक **अल्टीमेटम** दिया है, साथ ही चेतावनी दी है कि यदि वे शर्तों को अस्वीकार करते हैं तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।* **दवाओं का समझौता:*

एक प्रमुख दवा निर्माता ने प्रशासन के साथ एक समझौता किया है जिसके तहत एक नई संघीय वेबसाइट के माध्यम से दवाओं को “भारी छूट वाली कीमतों” पर पेश किया जाएगा। कार्यकारी ने इस पहल को दवा लागत कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।* **कानूनी और न्यायिक फैसले:** * एक संघीय न्यायाधीश ने एक कड़ा फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि **फिलिस्तीन समर्थक विचारों** वाले विदेशी विद्वानों को हिरासत में लेने और निर्वासित करने की प्रशासन की नीति असंवैधानिक थी और इसे **अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने** के लिए डिज़ाइन किया गया था। * एक प्रमुख संघीय जांच एजेंसी के पूर्व निदेशक पर दो आरोपों में अभियोग लगाया गया है। आलोचकों का तर्क है कि यह राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ चल रहे **प्रतिशोध अभियान** का हिस्सा है।सरकारी कामकाज का ठप होना, उच्च जोखिम वाले अंतरराष्ट्रीय अल्टीमेटम, और न्यायिक विरोध तथा विवादास्पद अभियोगों से चिह्नित कानूनी माहौल—इन सभी का मेल एक महत्वपूर्ण राजनीतिक तनाव के दौर को दर्शाता है।
Reported By – Jatin Sisodiya