
भारत सरकार ने **खांसी की दवा (Cough Syrup)** को लेकर बड़ा खुलासा किया है।**स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय** ने शनिवार को पुष्टि की कि **सरेसैन फार्मास्युटिकल (Sresan Pharmaceutical)** द्वारा बनाई गई कुछ खांसी की दवाओं में **डायएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol – DEG)** की मात्रा **अनुमेय सीमा से कई गुना अधिक** पाई गई है।यह वही **DEG** केमिकल है जो पहले भी बच्चों की मौत के कई मामलों में घातक साबित हुआ था।
🧪 क्या है DEG और क्यों खतरनाक है?

**डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG)** एक **टॉक्सिक इंडस्ट्रियल केमिकल** है, जिसका उपयोग सामान्यतः **कूलेंट, ब्रेक फ्लूड** या **औद्योगिक सॉल्वेंट** के रूप में होता है।अगर यह **दवाओं में मिल जाए**, तो यह **गुर्दों (किडनी)** को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है, और **बच्चों की जान** तक ले सकता है।
🧾 विवाद कैसे शुरू हुआ?

तमिलनाडु की ड्रग रेगुलेटरी एजेंसी ने सबसे पहले जांच में पाया कि सरेसैन फार्मा की खांसी की दवाओं में DEG मौजूद है।* इसके बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी इसी कंपनी की दवा से बच्चों की मौत के मामले सामने आए।हालांकि, केंद्र सरकार ने शुरुआती बयान में कहा था** कि जांच में किसी भी नमूने में DEG नहीं मिला।लेकिन एक दिन बाद** ही केंद्र ने अपना बयान बदलते हुए स्वीकार किया कि DEG “अनुमेय सीमा से बहुत अधिक” पाया गया है।
🧬 जांच में क्या सामने आया?

स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के अनुसार —केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने 6 सिरप के नमूनों की जांच की थी, जिनमें शुरुआत में DEG/EG नहीं पाया गया था। लेकिन मध्य प्रदेश फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MPFDA) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 3 नमूनों में DEG की मात्रा खतरनाक स्तर तक** पाई गई। यानी राज्य और केंद्र की रिपोर्टों में बड़ा विरोधाभास सामने आया।
🏛️ अब आगे क्या?

इस खुलासे के बाद केंद्र सरकार ने कहा है कि—> “दोषी कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और सभी राज्यों को ऐसे उत्पादों की बिक्री पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।”साथ ही, **सरेसैन फार्मास्युटिकल** की दवाओं के नमूने देशभर से एकत्र कर **फिर से लैब जांच** के लिए भेजे जा रहे हैं।
⚠️ पृष्ठभूमि: भारत में पहले भी हुए हैं ऐसे हादसे
यह पहली बार नहीं है जब खांसी की दवा में DEG मिला हो —2019 में जम्मू-कश्मीर और2022 में गाम्बिया (अफ्रीका) में भी भारतीय सिरप में DEG की मिलावट से कई बच्चों की मौत हो चुकी है।इस वजह से भारत की दवा निर्माण प्रतिष्ठा पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं।

📌 निष्कर्ष
यह मामला भारत की दवा निगरानी प्रणाली पर **गंभीर सवाल** उठाता है।जहां एक ओर केंद्र और राज्य की जांच रिपोर्टों में **स्पष्ट अंतर** दिखा, वहीं दूसरी ओर यह घटना फिर से यह याद दिलाती है कि—> “स्वास्थ्य सुरक्षा में लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है।”
Reported By – Jatin Sisodiya