दरअसल, नियमित कार्यवाही के दौरान एक वकील अचानक मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रमण की पीठ के समक्ष खड़े होकर ऊँची आवाज़ में बोलने लगे। बताया गया कि वे किसी पुराने लंबित मामले की तुरंत सुनवाई की मांग कर रहे थे। न्यायालय की निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, किसी भी वकील को अपनी बारी का इंतजार करना होता है या औपचारिक आवेदन देना पड़ता है, लेकिन इस वकील ने नियमों को दरकिनार कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश ने पहले उन्हें शांत रहने और अदालत की प्रक्रिया का पालन करने की हिदायत दी, लेकिन जब वकील बार-बार अपनी बात पर अड़े रहे, तो स्थिति तनावपूर्ण हो गई। न्यायालय की गरिमा को बनाए रखने के लिए सुरक्षाकर्मियों को बुलाया गया, जिन्होंने हस्तक्षेप कर स्थिति को नियंत्रण में लिया।
इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इसे एक गंभीर अनुशासनहीनता के रूप में देखा है। कोर्ट ने कहा कि अदालत की मर्यादा सर्वोपरि है और किसी को भी इसकी सीमाओं को लांघने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस मामले की प्रशासनिक जांच रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि वकील का आचरण नियमों का उल्लंघन था या किसी दबाव या भावनात्मक आवेग में किया गया कदम।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएँ न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुँचाती हैं और भविष्य में इस तरह की स्थितियों से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए जाने की संभावना है।
Reported By – Jatin Sisodiya