
पीयूष पांडे की विरासत विज्ञापन से कहीं आगे रहे… उन्होंने भारत की आत्मा को कैप्चर किया. ओगिल्वी के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन इंडिया रहते हुए उन्होंने ग्लोबल स्तर पर भारतीय आवाज को मजबूत किया. उनके परिवार, सहकर्मियों और लाखों फैंस के लिए यह अपूरणीय क्षति है. सोशल मीडिया पर ट्रिब्यूट्स की बाढ़ आ गई है, जहां लोग कह रहे हैं, ‘कुछ खास था उनमें।
नई दिल्ली. भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज और ओगिल्वी इंडिया के पूर्व चीफ क्रिएटिव ऑफिसर पीयूष पांडे का निधन हो गया. वह 70 साल के थे. उन्होंने अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ी है, जिसने भारतीय विज्ञापन उद्योग की रूपरेखा ही बदल दी. आज पूरी ऐड इंडस्ट्री उनके निधन से शोक में हैं.

पीयूष पांडे केवल एक विज्ञापनकार नहीं थे, बल्कि एक मास्टर स्टोरीटेलर थे, जिन्होंने अपने अभियानों के जरिए भारत की आत्मा को पकड़ा. उनके काम में भावना, हास्य और गहरी सांस्कृतिक समझ का अनूठा मेल था, जिसने विज्ञापनों को यादगार और अविस्मरणीय बना दिया.उन्होंने अंग्रेजी-केंद्रित विज्ञापनों को हटाकर हिंदी और स्थानीय भावनाओं से भरपूर कहानियां बुनीं, जो आज भी दिलों को छू जाती हैं. पीयूष पांडे पद्मश्री (2016) और एलआईए लेजेंड अवॉर्ड (2024) जैसे सम्मानों से नवाजे गए

<strong>फेविकोल- ‘दम लगा के हइशा’ और ‘अंडे वाला ऐड'</strong><br />फेविकॉल की अटूट चिपकाने की ताकत को हास्यपूर्ण तरीके से दिखाया. ‘एग ऐड’ में अंडों का बेंच से चिपकना विजुअल स्टोरीटेलिंग का क्लासिक उदाहरण बना.

<strong>कैडबरी डेयरी मिल्क- ‘कुछ खास है'</strong><br />क्रिकेट मैदान पर लड़की का डांस, जब उसके पार्टनर ने सिक्स मारा… यह विज्ञापन खुशी और जश्न की नई परिभाषा बना. इसे भारत का सबसे इमोशनल कमर्शियल माना जाता

>strong>एशियन पेंट्स- ‘हर खुशी में रंग लाए'</strong><br />रोजमर्रा की खुशियों को रंगों से जोड़कर भारतीय परिवारों के घरों को छुआ. यह कैंपेन घर-घर की कहानी बन गया.

<strong>बजाज- ‘हमारा बजाज'</strong><br />यह देशभक्ति और आकांक्षाओं से भरा अभियान था, जिसने बजाज को भारतीय मध्यम वर्ग की सवारी के रूप में स्थापित किया.

<strong>हच- ‘यू एंड आई इन दिस ब्यूटीफुल वर्ल्ड'</strong><br />लड़के और पग डॉग की जोड़ी ने नेटवर्क की विश्वसनीयता दिखाई. यह कल्चरल फिनॉमेनन बना और बाद में वोडाफोन ब्रांडिंग में ट्रांजिशन हुआ.

<strong>बीजेपी- ‘अबकी बार मोदी सरकार'</strong><br />2014 चुनावी कैंपेन का यह स्लोगन रैली क्राई बन गया, जो पॉलिटिकल मैसेजिंग को नया आयाम दिया.
