
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया है कि **न्यूनतम मज़दूरी** किसी व्यक्ति की आय निर्धारित करने के लिए उसकी **शैक्षणिक योग्यता के आधार पर** उसके द्वारा किए जा रहे **कार्य की प्रकृति** के संदर्भ के बिना लागू नहीं की जा सकती। यह फैसला मोटर दुर्घटना मुआवज़े (Motor Accident Compensation) के एक मामले में आया, जहाँ मृतक की संभावित आय को लेकर विवाद था।
### मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला एक 20 वर्षीय **बी.कॉम फाइनल इयर** के छात्र से संबंधित था, जिसने **भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान (ICAI)** में भी दाखिला लिया था। 2001 में एक सड़क दुर्घटना के कारण वह **लकवाग्रस्त** हो गया और अपनी मृत्यु (जो दो दशक बाद हुई) तक बिस्तर पर रहा।

* **निचली अदालतों का निर्णय:** ट्रिब्यूनल (Motor Accident Claims Tribunal) और दिल्ली हाईकोर्ट ने मुआवज़ा देने के उद्देश्य से उसकी आय की गणना **श्रमिकों के लिए अधिसूचित न्यूनतम मज़दूरी**, यानी ₹3,352/- प्रति माह, लागू करके की थी।
* **हाईकोर्ट का तर्क:** हाईकोर्ट का तर्क था कि चूंकि पीड़ित के पास शैक्षणिक संभावनाएं थीं, लेकिन उसने CA का सर्टिफिकेट हासिल नहीं किया था, इसलिए उसकी आय उस स्तर पर नहीं मानी जा सकती।
### सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों के इस दृष्टिकोण से असहमति जताई। कोर्ट ने माना कि मृतक की आय का आकलन करते समय, केवल न्यूनतम मज़दूरी लागू करना और उसकी **शैक्षणिक योग्यता** और **भविष्य की संभावनाओं** की उपेक्षा करना सही नहीं था।

* **मुख्य सिद्धांत:** कोर्ट ने कहा कि **न्यूनतम मज़दूरी केवल शैक्षणिक योग्यता के आधार पर लागू नहीं की जा सकती** और कार्य की प्रकृति को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
* **रोज़गार की संभावना:** कोर्ट ने ज़ोर दिया कि मुआवज़ा दिए जाने के वक्त **सिर्फ न्यूनतम मजदूरी को ही नहीं**, बल्कि पीड़ित की **वास्तविक रोज़गार की संभावना** को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। एक बी.कॉम फाइनल ईयर के छात्र, जिसने सीए कोर्स में भी दाखिला लिया था, उसकी भविष्य की आय की संभावना केवल एक **अकुशल/अर्द्ध-कुशल श्रमिक** के न्यूनतम वेतन तक सीमित नहीं की जा सकती थी।
* **कुशल श्रमिक का वेतन भी नहीं:** बेंच ने यह भी माना कि इन परिस्थितियों में **कुशल कामगार का वेतन** लागू करना भी पूर्णतः उचित नहीं था, क्योंकि व्यक्ति की क्षमता उच्च थी।

Motor accident
Compensation
इस फैसले ने स्पष्ट किया कि मोटर दुर्घटना मुआवज़ा मामलों में, खासकर उन पीड़ितों के लिए जिनकी उच्च शैक्षणिक पृष्ठभूमि है या जिनकी भविष्य की उज्जवल संभावनाएं थीं, उनकी आय का आकलन करते समय केवल **आधारभूत न्यूनतम मज़दूरी** को मापदंड बनाना **न्यायसंगत नहीं** है।
यह वीडियो सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य फैसले के बारे में है, जिसमें नाबालिगों को मोटर दुर्घटना मुआवज़ा देने के लिए कुशल श्रमिक के न्यूनतम वेतन को आधार बनाने का निर्देश दिया गया है।
Reported By – Jatin Sisodiya