
दिल्ली क्राइम ब्रांच ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर नीरज कुमार और उनके पूर्व अधीनस्थ अधिकारी विनोद पांडे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।यह मामला सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जुड़ा है, जिसमें अदालत ने इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ पद के दुरुपयोग, सबूतों से छेड़छाड़ और धमकी देने के आरोपों की जांच के निर्देश दिए थे।
🧾 मामला क्या है?

सूत्रों के अनुसार, यह पूरा मामला एक पुराने संवेदनशील आपराधिक केस से जुड़ा है, जिसमें जांच के दौरान कथित तौर पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई थी।शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था और कहा था कि तत्कालीन उच्च अधिकारियों ने अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल करते हुए जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी।सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए कहा कि “कानून सभी के लिए समान है” और अगर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी पद का दुरुपयोग करते हैं, तो उन पर भी वैधानिक कार्रवाई जरूरी है।
🔍 क्राइम ब्रांच की जांच

अदालत के आदेश के बाद दिल्ली क्राइम ब्रांच ने मामले की प्रारंभिक जांच शुरू की और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर एफआईआर दर्ज की।एफआईआर में आईपीसी की निम्न धाराओं का उल्लेख किया गया है:धारा 201 – अपराध के सबूतों को नष्ट करने या छिपाने का प्रयासधारा 218– सरकारी अधिकारी द्वारा गलत रिपोर्ट तैयार करनाधारा 506– धमकी देना (Criminal Intimidation)धारा 120B – आपराधिक साजिश
🏛️ सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि“अगर पुलिस अधिकारी खुद ही न्याय प्रक्रिया में बाधा डालेंगे, तो जनता का विश्वास कैसे कायम रहेगा?”अदालत ने इस मामले को “गंभीर संस्थागत लापरवाही” बताते हुए स्वतंत्र एजेंसी से जांच के निर्देश दिए थे।

🚨 आगे क्या होगा?
क्राइम ब्रांच अब दोनों अधिकारियों से जल्द पूछताछ कर सकती है।मामले में शामिल अन्य पुलिसकर्मियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।साथ ही, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि जांच पारदर्शी और समयबद्ध होनी चाहिए ताकि कोई राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव न बने।

📌 निष्कर्ष
यह मामला केवल दो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं, बल्कि यह संकेत है कि “कानून के सामने कोई भी पद या रुतबा बड़ा नहीं है।”सुप्रीम कोर्ट के इस कदम ने पुलिस तंत्र में **जवाबदेही और पारदर्शिता** की नई मिसाल कायम की है।
Reported By – Jatin Sisodiya